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क्या ओलिंपिक में 10 प्लस मेडल जीतेगा भारत: 117 भारतीय मैदान में; शूटिंग, एथलेटिक्स समेत 9 खेलों में मेडल की उम्मीद


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स्पोर्ट्स डेस्क19 मिनट पहले

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साल 1996। अटलांटा ओलिंपिक में टेनिस का ब्रॉन्ज मेडल मैच चल रहा था। भारतीय खिलाड़ी लिएंडर पेस ब्राजील के फर्नांडो मेलिजेनी के खिलाफ एक सेट से पीछे चल रहे थे। दूसरे सेट में भी वे 1-2 से पिछड़ गए। यह सेट गंवाते ही पेस मेडल से चूक जाते। यहां से उन्होंने जोरदार वापसी की। दूसरा सेट जीता। फिर तीसरा सेट जीतकर मैच और ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर लिया। ओलिंपिक में 16 साल के इंतजार के बाद भारत को कोई मेडल मिला था।

इसके बाद से भारत ने हर ओलिंपिक में कम से कम एक मेडल जरूर जीता। आज से पेरिस ओलिंपिक में खेलों की शुरुआत होने जा रही है। 117 भारतीय प्लेयर्स 16 खेलों में 71 गोल्ड मेडल के लिए दावेदारी पेश करेंगे। सवाल यह नहीं है कि भारत कोई मेडल जीतेगा या नहीं। इस बार सवाल यह है कि भारत पहली बार 10 या इससे ज्यादा मेडल जीत पाएगा या नहीं?

स्टोरी में इसका जवाब तलाशते हैं…

9 खेलों में दावा मजबूत
भारत पेरिस ओलिंपिक के 16 खेलों में हिस्सा ले रहा है। इनमें से 9 खेल ऐसे हैं, जिनमें भारतीय खिलाड़ी मेडल जीतने के दावेदार माने जा रहे हैं। इन खेलों में आर्चरी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, बॉक्सिंग, हॉकी, गोल्फ, शूटिंग, वेटलिफ्टिंग और रेसलिंग शामिल हैं। कुछ खेलों में एक से ज्यादा मेडल आने की उम्मीद हैं।

इनके अलावा 7 और खेलों में भी भारतीय प्लेयर्स उतरेंगे, लेकिन इतिहास और रीसेंट रिकॉर्ड को देखते हुए उनमें मेडल की उम्मीद कम ही है। जानते हैं उन 9 खेलों के बारे में जिनमें भारत को मेडल मिल सकते हैं…

1. शूटिंग: 15 इवेंट में 21 भारतीय
भारत को मेडल की सबसे ज्यादा आस शूटिंग से है। मेंस और विमेंस दोनों कैटेगरी के 6-6 इवेंट में भारतीय निशानेबाज हिस्सा लेंगे। मेंस कैटेगरी में 10 और विमेंस कैटेगरी में 11 शूटर मेडल के लिए निशाना साधेंगे। इन्हीं में से 10 शूटर्स 3 टीम इवेंट में भी हिस्सा लेंगे।

मनु भाकर 2 इंडिविजुअल इवेंट्स में हिस्सा लेने वालीं इकलौती भारतीय रहेंगी। उन्होंने 10 मीटर एयर और 25 मीटर पिस्टल इवेंट में क्वालिफाई किया है। इसके साथ ही वह 10 मीटर एयर पिस्टल टीम इवेंट का भी हिस्सा हैं। अगले ग्राफिक्स में देखिए किस इवेंट में कौन सा शूटर हिस्सा लेगा।

कितने मेडल मिल सकते हैंः 2 से 5

  • मनु भाकर: 2018 यूथ ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बाद से ही मनु से सीनियर लेवल मेडल की उम्मीदें थीं। उन्होंने वर्ल्ड कप में 9 गोल्ड जीतकर इसे साबित भी किया, लेकिन 2021 में ओलिंपिक मेडल से चूक गईं। इस बार वह 3 इवेंट्स में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी, तीनों में मेडल की उम्मीद है।
  • ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर: पिछली असफलताओं से पार पाते हुए ऐश्वर्य ने एशियन गेम्स में 2 गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज जीता। 2023 वर्ल्ड चैंपियनशिप गोल्ड और 2021 वर्ल्ड कप में मेडल विनिंग परफॉर्मेंस के अनुभव से ऐश्वर्य से ओलिंपिक में बड़ी उम्मीदें हैं।
  • सिफ्त कौर समरा: 22 साल की सिफ्त ने एशियन गेम्स के 50 मीटर राइफल 3 पोजिशन इवेंट में 469.6 का स्कोर कर गोल्ड जीता। यह नया वर्ल्ड रिकॉर्ड रहा।
  • ये भी दावेदार: सरबजोत सिंह, अर्जुन बबूता, इलावनिल वालारिवन और रमिता जिंदल ने ट्रायल्स में बेहतरीन प्रदर्शन किया। इनके साथ अंजुम मोद्गिल से भी मेडल की उम्मीदें हैं।

*ओलिंपिक शूटिंग इतिहास में भारत ने एक गोल्ड, 2 सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता है। 2012 में विजय कुमार ने सिल्वर जीतकर भारत को इस खेल में आखिरी सफलता दिलाई थी।

2. आर्चरी: सभी इवेंट में उतरेंगे इंडियन आर्चर
आर्चरी में भारत ने फुल स्क्वॉड उतारा है। 5 इवेंट्स में मेंस-विमेंस दोनों कैटेगरी के 3-3 आर्चर हिस्सा लेंगे। भारत ने मेंस और विमेंस दोनों कैटेगरी के टीम इवेंट में रैंकिंग के आधार पर क्वालिफाई किया। इसलिए देश मेंस-विमेंस इंडिविजुअल, मेंस-विमेंस टीम और मिक्स्ड टीम तीनों इवेंट में हिस्सा लेगा।

कितने मेडल की उम्मीद: 1 से 2
आर्चरी में भारत ने कभी ओलिंपिक मेडल नहीं जीता। वर्ल्ड नंबर-1 रह चुकीं दीपिका कुमारी ने 3 बार दावेदारी पेश की, लेकिन वह कभी क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ सकीं। दीपिका फिर एक बार ओलिंपिक में उतरेंगी, लेकिन इस बार वह अकेली दावेदार नहीं हैं। धीरज, तरुणदीप और प्रवीण जाधव की मेंस टीम से भी मेडल की उम्मीद है।

मेंस प्लेयर्स से इंडिविजुअल के साथ रिकर्व टीम इवेंट में भी मेडल की उम्मीद है। टीम ने आर्चरी वर्ल्ड कप में कोरिया की ओलिंपिक चैंपियन टीम तक को हराया था। इसलिए आर्चरी में 1 या 2 मेडल की उम्मीद तो की ही जा सकती है। इनके अलावा भजन कौर और अंकिता भकत विमेंस कैटेगरी में उतरेंगी, हालांकि इनसे मेडल की उम्मीदें कम हैं।

3. बैडमिंटन: 4 इवेंट में 7 भारतीय उतरेंगे
बैडमिंटन में भारत ने मिक्स्ड डबल्स छोड़कर सभी 4 इवेंट में क्वालिफाई किया। मेंस सिंगल्स में 2, विमेंस सिंगल्स में एक शटलर ने जगह बनाई। वहीं मेंस डबल्स और विमेंस डबल्स में एक-एक जोड़ी ने क्वालिफाई किया। 7 शटलर्स के रैकेट पर 4 गोल्ड मेडल दांव पर हैं।

कितने मेडल की उम्मीद: 1 से 3

  • सात्विक साईराज और चिराग शेट्टी: 2022 में टीम इंडिया को गोल्ड जिताने के बाद से ही दोनों की मेंस डबल्स जोड़ी ने अपना पीक फॉर्म पकड़ लिया। वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज, कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड और टीम इवेंट में सिल्वर जीता। दोनों यहीं नहीं रुके, एशियन गेम्स और एशियन चैंपियनशिप में भी गोल्ड जीता। कोरिया, स्विज, मलेशिया, फ्रेंच और इंडिया ओपन जैसे वर्ल्ड क्लास टूर्नामेंट में मेडल जीतकर दोनों ने ओलिंपिक में पहली बार बैडमिंटन गोल्ड की उम्मीदें जगा दी हैं।
  • एचएस प्रणौय: 2013 से इंटरनेशनल बैडमिंटन खेल रहे प्रणौय 10 साल बाद टॉप क्लास फॉर्म में पहुंच सके। वर्ल्ड चैंपियनशिप, एशियन गेम्स और एशियन चैंपियनशिप में लगातार मेडल जीतकर प्रणौय से भी मेडल की उम्मीदें बढ़ गईं। मलेशिया मास्टर्स में गोल्ड और स्विज, ऑस्ट्रेलियन ओपन में प्रणौय के सिल्वर मेडल ने देश को पहली बार मेंस इंडिविजु्अल बैडमिंटन में भी मेडल की उम्मीद जगा दी है।
  • पीवी सिंधु: 2016 रियो ओलिंपिक्स में सिल्वर और 2020 टोक्यो ओलिंपिक्स में ब्रॉन्ज मेडल के बाद सिंधु से ओलिंपिक में मेडल की हैट्रिक लगाने की उम्मीद हैं। 2016 में जहां सभी गेम्स में हारने के बाद भारत का मान सिंधु ने सिल्वर दिलाकर रखा था। इस बार उनसे ही इस खेल की विमेंस कैटेगरी में लगातार चौथी बार भारत को मेडल जिताने की जिम्मेदारी हैं। 2012 में साईना नेहवाल ने ब्रॉन्ज जीतकर देश को बैडमिंटन में पहली सफलता दिलाई थी।
  • लक्ष्य सेन: मेंस इंडिविजुअल कैटेगरी में प्रणौय के साथ लक्ष्य भी उतरेंगे। 22 साल के लक्ष्य ऐतिहासिक थॉमस कप जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे। उन्होंने 2022 में प्रणौय को पछाड़कर कॉमनवेल्थ गोल्ड जीता था। एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीत के कारण लक्ष्य से भी पोडियम फिनिश की उम्मीद है।

*बैडमिंटन में भारत ने 2 ब्रॉन्ज और एक सिल्वर मेडल जीता है। 2020 में पीवी सिंधु ने ब्रॉन्ज जीतकर भारत को इस खेल में आखिरी सफलता दिलाई थी।

4. बॉक्सिंग: 6 बॉक्सर्स के मुक्कों पर निर्भर 6 गोल्ड
भारत के 6 बॉक्सर्स ने 6 अलग-अलग कैटगरी के बॉक्सिंग इवेंट में ओलिंपिक क्वालिफाई किया है। इनमें 4 विमेंस और 2 मेंस बॉक्सर शामिल हैं। वर्ल्ड चैंपियन निखत जरीन और ओलिंपिक मेडल विजेता लवलीना बोरगोहेन के साथ प्रीति पवार और जैस्मिन लम्बोरिया विमेंस बॉक्सर हैं। मेंस कैटेगरी में अमित पंघल और निशांत देव ने क्वालिफाई किया।

कितने मेडल की उम्मीद: 2 से 4

  • निखत जरीन: 50 किग्रा विमेंस कैटेगरी में 2 बार की वर्ल्ड चैंपियन निखत जरीन से बॉक्सिंग में पहली बार मेडल का रंग बदलने की उम्मीद है। उन्होंने खुद भी गोल्ड जीतने का कॉन्फिडेंस दिखाया है। निखत ने 2022 और 2023 में वर्ल्ड चैंपियनशिप गोल्ड जीता। कॉमनवेल्थ में उनके हाथ सोना ही लगा, लेकिन एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज से संतोष करना पड़ा। हालांकि, ओलिंपिक्स में वह गोल्ड की बड़ी दावेदार हैं।
  • लवलीना बोरगोहेन: टोक्यो ओलिंपिक में लवलीना ने ब्रॉन्ज जीतकर सभी को अपनी पहचान दिखाई। यहां से उन्होंने एशियन गेम्स में सिल्वर और एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड जीता। उन्होंने फिर 2023 वर्ल्ड चैंपियनशिप की 75 किग्रा कैटेगरी में गोल्ड जीता और एक बार फिर ओलिंपिक में सफलता की उम्मीद दे दी।
  • अमित पंघल: अमित ने पिछले ओलिंपिक में वर्ल्ड नंबर-1 बनकर एंट्री की थी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। यहां से उन्होंने कमबैक किया और 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीत लिया। उनके साथ 2023 वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले निशांत देव से भी मेंस बॉक्सिंग में मेडल की उम्मीद है।

*ओलिंपिक बॉक्सिंग इतिहास में भारत ने 3 मेडल जीते, तीनों ब्रॉन्ज रहे। 2008 में विजेंदर सिंह, 2012 में मैरी कॉम और 2020 में लवलीना ने मेडल जीता था।

5​​​​​​. रेसलिंग: 6 रेसलर्स लगाएंगे 6 गोल्ड के लिए दांव
रेसलिंग फेडरेशन में पिछले ओलिंपिक के बाद से हुई उथल-पुथल के बावजूद 6 रेसलर्स ने भारत से खेल महाकुंभ में जगह बना ली। विनेश फोगाट, अंतिम पंघल और अंशु मलिक के साथ 2 और विमेंस रेसलर ने क्वालिफाई किया। मेंस कैटेगरी में अमन सहरावत एकमात्र उम्मीदवार और मेडल के दावेदार हैं।

कितने मेडल की उम्मीद: 2 से 4

  • विनेश फोगाट: 2016 ओलिंपिक में इंजरी के कारण मेडल जीतने से चूकने वालीं विनेश टोक्यो में भी चूक गईं। पिछले 2 खराब परफॉर्मेंस से विनेश के मेडल जीतने की दावेदारी कम नहीं होती। भारत की सबसे प्रतिभाशाली रेसलर्स में शामिल विनेश के नाम 3 कॉमनवेल्थ और एक एशियन गेम्स गोल्ड हैं। उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में 2 ब्रॉन्ज जीते हैं और इसी साल स्पैनिश ग्रैंड प्रिक्स में गोल्ड जीतकर अपने फॉर्म में होने के साथ ओलिंपिक मेडल जीतने की दावेदारी भी पेश कर दी।
  • अंतिम पंघल: 53 किग्रा कैटेगरी से क्वालिफाई करने वालीं अंतिम ने विनेश की जगह ली है। विनेश 53 किग्रा में ही फाइट करती आई हैं, लेकिन इस ओलिंपिक में उन्होंने अपनी कैटेगरी बदल ली। अंतिम महज 19 साल की हैं और वर्ल्ड चैंपियनशिप और एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज जीत चुकी हैं। एशियन चैंपियनशिप में उन्होंने सिल्वर जीता, नेशनल क्वालिफिकेशन में भी उनका प्रदर्शन शानदार रहा।
  • अंशु मलिक: कॉमनवेल्थ और वर्ल्ड चैंपियनशिप में अंशु ने सिल्वर अपने नाम किया। एशियन चैंपियनशिप में उनके नाम एक गोल्ड, एक सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज हैं। कंधे की इंजरी से जूझ रही अंशु रेपचेंज राउंड में ब्रॉन्ज जीत सकती हैं।
  • अमन सहरावत: 2020 टोक्यो ओलिंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले रवि दहिया को क्वालिफिकेशन राउंड में हराकर अमन ने ओलिंपिक में जगह बनाई। इसलिए उनसे तो ओलिंपिक में गोल्ड जीतने की उम्मीद हैं। हालांकि, उनके सामने मुश्किल कॉम्पिटिशन मिलेगा। अगर उन्होंने बड़े विरोधियों को शुरुआती राउंड में हरा दिया तो वह पोडियम तक जरूर पहुंच सकते हैं।

*ओलिंपिक रेसलिंग इतिहास में भारत ने 7 मेडल जीते हैं। इनमें 5 ब्रॉन्ज और 2 सिल्वर शामिल हैं। 2012 और 2020 में भारत ने 2-2 मेडल जीते। 2020 में बजरंग पूनिया ने ब्रॉन्ज और रवि दहिया ने सिल्वर जीता था। 2008 से भारत ने हर बार रेसलिंग में मेडल जीते।

6. हॉकी: मेंस टीम से प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद
ओलिंपिक इतिहास में भारत ने अगर सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल किसी खेल में जीते है तो वह हॉकी ही है। 1928 में पहली बार हॉकी खेलना शुरू करने के बाद 1980 तक भारत ने 8 गोल्ड, एक सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज मेडल जीते। फिर आया इंडियन हॉकी का बुरा दौर, सबसे बुरा दौर भी कहें तो गलत नहीं होगा।

1980 के बाद भारत ने 2016 तक ब्रॉन्ज मेडल तो छोड़िए सेमीफाइनल तक में जगह नहीं बनाई। 2008 में तो हालात इतने खराब हो गए कि टीम क्वालिफाई भी नहीं कर सकी। इस दौरान एशियन गेम्स और एशिया कप में खूब सफलता मिली, लेकिन ओलिंपिक मेडल दूर ही रहा।

फिर 2020 टोक्यो ओलिंपिक में टीम ने कमबैक किया, सेमीफाइनल में क्वालिफाई किया और थर्ड प्लेस मैच जीतकर ब्रॉन्ज मेडल भी अपने नाम किया। टीम 2022 में एशियन गेम्स और 2023 में एशियन चैंपियंस ट्रॉफी भी जीत चुकी है। 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में टीम रनर-अप रही। ऐसे में इस बार हरमनप्रीत सिंह की कप्तानी में टीम से अपने पिछले मेडल का रंग बदलने की उम्मीद है।

7. वेटलिफ्टिंग: एक ही दावेवार, उनसे ही उम्मीद
वेटलिफ्टिंग में भारत का दबदबा कभी नहीं रहा। 2000 में कर्णम मल्लेश्वरी ने ब्रॉन्ज जीतकर देश को इस खेल में पहला ओलिंपिक मेडल दिलाया। इंडियन वेटलिफ्टर फिर 2004 में चौथे और 2012 में 12वें स्थान पर रहीं।

2020 में फिर मीराबाई चानू ने 49 किग्रा कैटेगरी में वह कर दिखाया जो भारत के इतिहास में कभी नहीं हुआ। उन्होंने सिल्वर मेडल जीता और देश को इस कैटेगरी में पहली बार रजत पदक दिखाया। चानू इस बार भी वेटलिफ्टिंग में भारत की इकलौती उम्मीद हैं। उन्होंने 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड भी जीता था।

8. गोल्फ में पहले मेडल का इंतजार
भारत के 4 गोलफर्स ने पेरिस ओलिंपिक में क्वालिफाई किया है, विमेंस और मेंस दोनों ही कैटेगरी में 2-2 गोल्फर्म शामिल हैं। दोनों कैटेगरी में एक-एक गोल्ड मेडल दांव पर है। इस खेल में भारत ने अब तक कोई मेडल नहीं जीता, लेकिन इस बार अदिति अशोक मेडल जिता सकती हैं।

अदिति टोक्यो ओलिंपिक के आखिरी दिन भारत को मेडल जिताने के करीब पहुंची थीं। लेकिन फाइनल राउंड में ब्रॉन्ज जीतने से महज एक पॉइंट से दूर रह गईं। उन्होंने चौथे स्थान पर फिनिश किया। अदिति एशिया की टॉप गोल्फर हैं और पिछले प्रदर्शन के आधार पर ही इस बार उनसे मेडल की उम्मीद हैं। उनके अलावा दिक्षा डागर, शुभांकर शर्मा और गगनजीत भुल्लर भी गोल्फ कॉम्पिटिशन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।

9: एथलेटिक्स में सबसे बड़ा दल उतारा
एथलेटिक्स के जैवलिन, शॉट पुट, लॉन्ग जंप, रिले और स्टीपलचेज जैसे 18 इवेंट्स में भारत के 29 एथलीट्स हिस्सा लेंगे। इनमें 18 पुरुष और 11 महिलाएं शामिल हैं। एथलेटिक्स के ट्रैक पर 8, रोड पर 3 और फील्ड में 7 इवेंट्स के लिए भारतीय एथलीट्स ने क्वालिफाई किया।

कितने मेडल की उम्मीद: 1 से 3

  • जैवलिन थ्रो: टोक्यो ओलिंपिक के जैवलिन थ्रो इवेंट में भारत को ऐतिहासिक गोल्ड मेडल जिताने वाले नीरज इस बार भी गोल्ड के दावेदार हैं। टोक्यो के बाद उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप, एशियन गेम्स, डायमंड लीग और रीजनल फाइनल में 1-1 गोल्ड जीता। इसी इवेंट में किशोर जेना भी पोडियम फिनिश कर सकते हैं।
  • स्टीपलचेज: अविनाश साबले ने 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स की 3000 मीटर स्टीपलचेज प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीतकर सभी को चौंकाया। इससे पहले उन्होंने नया नेशनल रिकॉर्ड भी बनाया था। एशियन गेम्स में भी उन्होंने गोल्ड जीता और अपनी ओलिंपिक दावेदारी पेश की।
  • विमेंस 100 मीटर हर्डल्स: एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ज्योथि याराजी ने गोल्ड मेडल जीता। एशियन गेम्स में भी वह गोल्ड जीतने के करीब थीं, लेकिन टेक्निकल गलती के कारण उन्हें सिल्वर के साथ संतोष करना पड़ा। वह अपने पीक फॉर्म में नजर आ रही हैं और 100 मीटर हर्डल्स में भारत को पहली बार कोई मेडल भी जिता सकती है।
  • इनमें भी दावेदार: मेंस ट्रिपल जंप, लॉन्ग जंप, शॉट पुट और 4*400 मीटर रिले रेस में भारत ने मजबूत दावेदार उतारे हैं। इनमें ट्रिपल और लॉन्ग जंप इवेंट में मेडल की उम्मीद है। विमेंस 4*400 मीटर टीम भी चौंकाकर मेडल तक पहुंच सकती है।

भारत इन खेलों में भी भाग लेगा, लेकिन मेडल की उम्मीद बेहद कम

  • टेबल टेनिस: मनिका बत्रा और शरथ कमल जैसे दिग्गजों के बावजूद इस खेल में भारत कोई ओलिंपिक मेडल नहीं जीत सका। शरथ कमल ने पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीते, टीम इवेंट में भी भारत सफल रहा, लेकिन इस कामयाबी को देश अब तक ओलिंपिक मेडल में नहीं बदल सका।
  • टेनिस: सुमित नागल सिंगल्स में और रोहन बोपन्ना मेंस डबल्स में अपनी दावेदारी पेश करेंगे। 1996 में लिएंडर पेस ने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा था। यह इस खेल में भारत का इकलौता मेडल है। इसके अलावा हमारे प्लेयर्स कभी क्वार्टर फाइनल स्टेज भी पार नहीं कर सके।
  • इनमें उम्मीद नहीं: इक्वेस्ट्रियन, जूडो, रोइंग, सेलिंग और स्वीमिंग में भारतीय खिलाड़ी उतरेंगे। लेकिन विदेशी टीमों के दबदबे वाले इस खेल में भारतीय प्लेयर्स के मेडल जीतने की उम्मीद नहीं है।

ग्राफिक्स: कुणाल शर्मा, अंकलेश विश्वकर्मा, संदीप पाल

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